लफ़्ज़ों के फूल
Thursday, June 14, 2012
Friday, February 4, 2011
संस्कारहीन समाज
युवा वर्ग की उद्दंडता के बहुत से कारण हैं जिनमें सबसे बड़ा कारण है संस्कारहीन समाज का निर्माण. अंग्रेजी की कहावत बड़ी सटीक है कि धन चला गया तो कुछ नहीं गया, स्वास्थ्य चला गया तो कुछ खो गया और अगर चरित्र चला गया तो सब कुछ चला गया. आज इस कहावत को उलट दिया गया है जिस की वजह से चरित्र निर्माण को फ़िज़ूल कि चीज़ मान लिया गया है और सरकार की ओर से लिव इन रिलेशनशिप और समलैंगिकता जैसे घिनोने कर्मों में संलिप्त युवाओं को वी आई जैसी सुरक्षा प्रदान करना भी एक कारण है.
Please see this link to know details
http://www.amankapaigham.com/2011/01/blog-post_28.html?showComment=1296309078937#c7603502069357677047
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भारत के उज्जवल भविष्य की आशा और मोहतमिम मौलाना वस्तानवी Vastanvi
Sharif Khan said...
मौलाना वस्तानवी को दारुल उलूम का मोहतमिम बनाया एक बहतरीन क़दम साबित होता अगर मौकापरस्त और मुस्लिम समाज के सौदागर इस हद तक मुखालिफत पर आमादा न होते. हम तो तसव्वुर करने लगे थे की अब नई हवा चलेगी और दारुल उलूम से इस्लामी बुनियाद वाले आई ए एस और आई पी एस अफसर निकल कर एक ऐसा नमूना पेश करेंगे जिसकी अब तक मिसाल नहीं मिलती. अब तक तो पुलिस चौकियों, थानों और कोतवालियों से होने वाली उगाही आई पी एस अफसर और तहसीलों, ब्लॉकों और दूसरे विभागों से होने वाली उगाही आई ए एस अफसर डकार कर कर्तव्यपालन का जो नमूना पेश कर रहे हैं कम से कम इस गिलाज़त से परहेज़ करने वाले अफसरों को भी लोग देख कर भारत के उज्जवल भविष्य की आशा कर सकते थे.
January 29, 2011 6:24 AM
Please see
http://charchashalimanch.blogspot.com/2011/01/fact.html?showComment=1296311058823#c2075874194615071328
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